कोरोना के गंभीर मरीजों को बचाएंगे कोरोना से उबरे मरीज, जानें कैसे

कोरोना के गंभीर मरीजों को बचाएंगे कोरोना से उबरे मरीज, जानें कैसे

सेहतराग टीम

कोरोना के संक्रमण से उबर चुके मरीज अब इस वायरस से पीड़ित गंभीर मरीजों की जिंदगी बचा सकेंगे। दरअसल, कोरोना की जंग जीत चुके इन मरीजों में सार्स-कोव टू के प्रति एंटीबॉडी बन चुकी है। यह अब अन्य मरीजों के काम आएगा। केजीएमयू के आइसीयू में भर्ती कोरोना के मरीजों का इलाज अब इसी पैटर्न पर होगा। इस विधि से इलाज में पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग और ब्लड  ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग मिलकर करेंगे। इसके लिए रिसर्च सेल को पत्र लिखा गया है।

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केजीएमू को कोरोना मरीजों के इलाज का स्टेट नोडल सेंटर बनाया गया है। ट्रीटमेंट प्रोटोकाल के लिए यहां 23 सदस्यीय टास्कफोर्स कमेटी बनाई गई है। वहीं क्वारनटाइन, आइसोलेशन और क्रिटिकल केयर मैनेजमेंट की अलग-अलग टीमें गठित की गई है। क्रिटिकल केयर टीम ने आइसीयू और वेंटिलेटर पर भर्ती होने वाले मरीजों को विश्वस्तरी इलाज मुहैया कराने का खाका खिंच लिया है। ऐसे में पल्मोनरी एंव क्रिटिकल केयर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष और कमेटी के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने कोरोना की महामारी से निपटने के लिए कन वेलिसेंट प्लाज्मा विधि से इलाज का फैसला किया है। इसमें कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों का प्लाज्मा आइसीयू में भर्ती गंभीर मरीजों की जिंदगी बचाने में मददगार बनेगा। दावा है कि कोरोना मरीजों में इस विधि से इलाज करने वाला केजीएमयू देश का पहला संस्थान है। इसके लिए ब्लड व ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने सहमति दे दी है।

ठीक हो चुके मरीजों में बन चुकी एंटीबॉडी

डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक कोरोना बीमारी सार्स-कोव टू वायरस से हो रही है। कोरोना से काफी मरीज ठीक भी हो रहे है। ऐसे में बीमारी से उभरे लोगों के शरीर में सार्स-कोव टू वायरस के प्रति एंटीबॉडी बन गई है। लिहाजा, इनका प्लाज्मा चढ़ाकर गंभीर मरीजों का इलाज किया जा सकता है। सर्वाइवर से प्लाज्मा डोनेट की जाएगी। मरीज के आना पर परिवारजन की सहमती से प्लाज्मा ली जाएगी।

ये दे सकेंगे प्लाज्मा

  • कोरोना से मुक्त हो चुके व्यक्ति में सरकारी लैब से वायरस की पुष्टि हुई हो
  • संक्रमण मुक्त हुए 14 दिन बित चुके हो
  • बीमारी से मुक्त हुई महिलाओं में एचएलएम निगेटीव हो
  • नाक-गले की स्लैव की रिपोर्ट दो बार निगेटिव आई हो
  • ठीक हो चुके व्यक्ति के प्लाज्मा में नेयूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी टाइटर 1320 से ज्यादा हो

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इन्हें चढ़ेगा प्लाज्मा

  • कोरोना पुष्टि वाले ऐसे मरीज जिनकी जान को खतरा हो
  • रेस्पिरेटरी रेट प्रति मिनट 30 से ज्यादा हो
  • ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा 93 फीसदी से कम हो गई हो
  • एक्सरे में फेफड़े का धब्बा 48 घंटे में 50 फीसद बढ़ गया हो
  • रेस्पिरेटरी फेल्योर, सेप्टिक शॉक, मल्टी ऑर्गन फेल्योर मरीज

 

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